दो पक्षों में छिड़ी एक जंग,
ना कोई मज़हब ना ही रंग,
सरहद का दायरा थोड़ा धुंधला था,
वजूद कि लड़ाई में अपने ही ना थे अपनों के संघ।
पुख्ता तौर पर अभी पता नहीं चल पाया
की कोंन किसके इलाके में पहले आया,
हालाकि यह वाकया पहली बार नहीं
बस इस बार हमारा ध्यान खींच लाया।
हमला यहां से हुआ, हमला वहां से हुआ,
शोर तो ना जाने कहां-कहां से हुआ,
एक-एक इंसान की नींद खराब हुई,
"यह चुप हो जाए" सबने मांगी बस यह दुआ।
इसी बीच दो बच्चे बस से जा टकराए,
दोनों पक्ष लड़ाई छोड़ बच्चो के पास आए,
मौका था.. सामने ज़मीन हड़पने का, पर
यह कुत्ते है, इन्हे इंसानी फितरत कोन समझाए।
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